As Islamic Andaz
(असली राज़)
किसी बादशाह ने रसूले अकरम सल्लल्लाहू अलेही वाले वसल्लम की खिदमत में एक तबीब भेजा कि जरूरत के वक्त आप सल्लल्लाहू अलेही वाले वसल्लम की जमात का इलाज मालिजा किया करें तबीब मुद्दतों मदीने में हाजिर रहा मगर किसी शख्स ने उससे इलाज के लिए रुजू न किया हकीम ने मुसलसल बेकारी देखकर आखिर एक दिन आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की खिदमत में हाज़िर होकर अर्ज़ की हुज़ूर आप जानते हैं कि इतनी मुद्दत से सिर्फ आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के जान निसारों की खिदमत के लिए यह खाकसार
हाज़िर हे मगर इस अर्से में मेरी तरफ किसी ने किसी ने भी तवज्जो नहीं की हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहू अलेही
वसल्लम ने फरमाया उन लोगों का कायदा यह है कि जब तक भूख ग़ालिब न हो खाने को हाथ नहीं लगाते और अभी पेट भरता नहीं के हाथ उठा लेते हैं इसलिए आप की खिदमात से फायदा उठाने का मौका कम मिलता है हकीम ने कहा बेशक तंदुरुस्ती का यही असली राज है जिसके होते हुए मेरी हाजिरी बेकार हे इसके बाद हकीम ने आदाब बजा लाकर वतन की राह ली
(नेक फितरत आदमी )
एक शख्स निहायत खुश ख़ल्क़ और नेक सीरत था वोह बुरों को भी भला /अच्छा कहता था क्योंकि अपनी नेक फितरत की वजह से उसकी नज़र उनके ऐबों पर नहीं जाती थी जब उसने दुनिया फानी से कूच किया तो किसी ने ख्वाब में देखा और पूछा की मरने के बाद तेरा क्या हाल हुआ उसने हंसते हुए जवाब दिया कि अल हमदुलिल्ला मुझ पर कोई सख्ती नहीं की गई क्योंकि मैंने भी कभी किसी के साथ सख्ती न की थी
(इल्म और दौलत )
मिस्र में किसी जगह दो भाई रहते थे एक ने इल्म पढ़ा और दूसरा माल जमा करता रहा नतीजा यह हुआ कि पढ़ने वाला तो अल्लामा हो गया और रुपया जमा करने वाला शाही खजांची बन गया एक बार दौलतमंद भाई ने आलिम भाई की तरफ हिकारत की नजर से देख कर कहा हम तो ख़ज़ाने के मालिक हो गए मगर तुम मुफ़लिस यानी गरीब ही रहे आलिम भाई ने कहा भाई जान मैं तो इस हाल पर खुदा का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे पैग़म्बरों की मीरास (इल्म ) अता किया
मगर आप हैं के फिरौन की विरासत (मिस्र की हुकूमत) पर इतरा रहे हैं
(हज़रत जुनैद बग़दादी रहमतुल्लाह अलेह और बीमार कुत्ता)
हजरत जुनैद बगदादी रहमतुल्ला आले एक दफा बयाबान में जा रहे थे कि उन्हें एकलाग़र और जख्मी कुत्ता नजर आया जो भूख से मर रहा था हजरत जुनैद बगदादी रहमतुल्ला अली ने अपने सफर के खाने में से आधा खाना उसे खिला दिया और वह उठ बैठा सुना है कि हजरत जुनैद बगदादी रहमतुल्ला अलेह वहां से जाते वक्त रो रहे थे यह कौन जानता है कि हम दोनों में से अल्लाह तबारक व ताला के नजदीक कौन बेहतर है इसलिए कि कुत्ता बावजूद अपनी तमाम बदनामी के जब मर जाएगा तो उसको दोज़ख में ना ले जाया जाएगा
( सोने की ईंट )
एक पारसा को सोने की ईंट कहीं से मिल गई दुनिया की दौलत ने उसके नूरे बातिन की दौलत छीन ली और वह सारी रात यही सोचता रहा कि अब में संगमरमर की एक बहुत बड़ी आलिशान हवेली निर्मार्ण करा लूंगा और बहुत से नौकर चाकर भी रखूंगा उम्दा उम्दा खाने खाऊंगा और आला दर्जे की पोशाक सिलवाउंगा ग़र्ज़ इसी ख़याल ने उसे दीवाना बना दिया ना खाना पीना रहा और ना ज़िक्रे हक़ रहा सुबह को मस्त इसी ख़याल में जंगल की तरफ निकल गया वहां देखा कि एक शख्स एक क़ब्र पर मिट्टी गूंध रहा है ताकि उस से ईट बनाए यह नजारा देखकर पारसा की आंखें खुल गई और उसको ख्याल आया कि मरने के बाद मेरी क़ब्र की मिटटी से भी लोग ईंट बनाएंगे आलीशान मकान, आला लिबास, और उम्दा खाने सब यही धरे रह जाएंगे इसलिए सोने की ईंट से दिल लगाना बेकार है हां दिल लगाना है तो अपने ख़ालिक़ से लगा यह सोचकर उसने सोने की ईट फेंक दी और फिर पहले की तरह ज़ाहिदो क़नाअत की जिंदगी बसर करने लगा
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