बदसूरत ग़ुलाम Badsoorat Gulam - As Islamic Andaz

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Wednesday, May 6, 2020

बदसूरत ग़ुलाम Badsoorat Gulam

As Islamic Andaz

(बदसूरत ग़ुलाम )


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एक मर्तबा का जिक्र है हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलेही वाले वसल्लम सहाबा इकराम के साथ एक लश्कर  के साथ सफर कर रहे थे कि पानी खत्म हो गया सब प्यास की  शिद्दत में थे  और पानी पानी पुकार रहे थे हुज़ूरे कायनात सरवरे  अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने अली रजि अल्लाह ताला अन्हा को सहाबा इकराम की एक जमात के साथ हुक्म दिया के पानी की तलाश में निकले अभी वह थोड़ी ही दूर गए थे कि उन्हें एक जशी ग़ुलाम ऊंट  पर सवार जाता हुआ दिखाई दिया उसके पास पानी का एक मश्कीज़ा था  

उसे जब कहा गया कि वह हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के पास चले तो वोह कहने लगा मैं उस जादूगर के पास कभी भी ना जाऊंगा हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हा उस जशी  गुलाम को जबरदस्ती हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के पास ले गए  हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने उस  से मश्कीज़ा  लेकर खोला और अपना दस्ते मुबारक उस पर फेरा तमाम सिहावा किराम ने शेर हो कर पानी पिया और अपने बर्तनों में भर लिया मवेशियों को भी सैराब  किया मगर वह मश्कीज़ा  उसी तरह पानी से भरा हुआ था जैसे पहले को था उस मश्कीज़े को जशी ग़ुलाम के हवाले कर दिया गया इसी के मश्कीज़े से  एक बूंद भी पानी कम ना हुआ था सहाबा इकराम ने अपने माल से कुछ ना कुछ उसको को दिया वह जशी हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम का मौज्ज़ा देखकर हैरान हो गया हुजूर सरवरे कायनात सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने अपना दस्त मुबारक जशी के चेहरे पर फेरा तो वह दस्ते मुबारक की बरकत से चांद की मानिंद खूबसूरत हो गया और चमकदार दिखाई देने लगा वोह ग़ुलाम हुजूर सलातो सलाम का मौज्ज़ा देखकर बड़ा ही मुतासिर हुआ आगे बढ़ा और हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के दस्ते मुबारक को बोसा देने लगा इसके साथ ही उसने इस्लाम कुबूल किया और फिर अपने कबीले की तरफ चल दिया उसके खूबसूरत चेहरे को देख कर जशी ग़ुलाम के मालिक ने कहा 

 यह ऊँट तो मेरा है मुश्कीज़ा भी  मेरा है लेकिन यह ग़ुलाम तो मेरा जशी ग़ुलाम नहीं है गुलाम कहने लगा कि मैं ही आपका गुलाम हूं उसके मालिक ने मानने से इनकार कर दिया और कहा मेरा गुलाम तो सिया शक्ल का बदसूरत आदमी था मगर तुम तो चांद की मानिंद सफेद और खूबसूरत हो जशी ने  अपने मालिक को यकीन दिलाने की काफी कोशिश की मगर मालिक ने उसे पहचानने से साफ़ इनकार कर दिया

इस पर गुलाम ने सूरते हाल बयान कर के मालिक के सामने सारा वाकया बयान कर दिया उसके साथ ही उसने मालिक के घर के तमाम हालात और वेह दूसरी अलामतें बताएं तो उससे मालिक को यकीन हो गया के यही मेरा गुलाम है अब तो जशी  का मालिक भी उससे सारा वाक्य सुनकर बहुत मुतासिर हुआ और हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु  अलेही वसल्लम की खिदमत में हाजिर होकर इस्लाम की दौलत से मालामाल हुआ और गुलाम को आजाद कर दिया


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Dua men yad rakhiyega 

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