Roza Rakhne ki Duaसहरी मे रोजा रखने की दुआ
अस्सलामुअलयकुम व व कैसे हैं दोस्तो
दोस्तो मैं आपका दोस्त मो0 शाहनवाज आओ सीखें ए एस इस्लामिक अंदाज की तरफ से
ए एस इस्लामिक अंन्दाज के प्यारे दोस्तो आज की टॉपिक मैं हम जानेगे की सहरी मे रोजा रखने की दुआ ओर जानेगे कि सहरी मे खाना कब तक खा सकते है ओर जानेगे कि रोजा रखने की दुआ अगर याद नही है तो रोजा केसे रख सकते है ओर जानेगे कि अगर सहरी मे गलती या किसी वजाह से नही उठे तो क्यिा करें
तो आइये दोस्तो हदीस ओर आलिमेदीन की रोशनी मे सीखते हैं
दोस्तो नियत, किसी भी काम के करने का इरादा यानी सच्चे दिल से करलेने को, उसी को नियत कहते हैं
वेसे दोस्तो आप दूआ से इस तरहां से भी नियत कर सकते हैं कि,
वमिसोमिगदिन नवयतु मिन सहरी रमजान
दोस्तो जो लोग सहरी मे इस तरहां से सही से नही कह पाते कि वमिसोमिगदिन नवयतु मिन सहरी रमजान या उनसे बोलना नही आता
तो दोस्तो जबान से उस नियत केा ज़ाहिर करना कोई जरूरी नही होता है क्यूंकि अल्लाह हम सब की नियत को देखता है
तो दोस्तो याद रखें दुआ बोलना इतनी जरूरी नही अगर आपके कल्ब मे यानी अगर आपने यह यह इरादा किया कि मेने रमज़ान के कलके रोजे कि नियत की, तो यही काफी है
दोस्तो कुछ इस तरहां से भी जानते है कि अगर कोई सहरी कर रहा हे यानी सहरी के वक्त खाना खा रहा है ओर उसका कलके रोजे का दिल से पूरा इरादा है तो दुआ पढने की कोई जरूरत नही उसकी नियत ही काफी है
दोस्तो बिन सहरी के रोजा जैसे की कभी किसी वजाह से आंख नही खुली है ओर वह सुबाह उठता है तो वह यह न सोचे कि अब रोजा नही हो सकता बल्कि वह यह नियत करले के मेने रोजा रखना है लैकिन यह नियत नही करनी है की मैं अब से रोजादार हूं अबसे नियत करता हूं बिल्कि यह नियत करे कि मै जबसे सहरी बन्द हुई थी यानी सहरी के बाद से मै नियत करता ओर उस वक्त से ही रोजेदार हूं तेा दोस्तो यह नियत कर लेगे तो इन्षअल्लाह नियत हो जायेगी लैकिन उस वक्त बिना कुछ खाये
दोस्तों एक बहुत अहम बात याद रखे कि सेहरी का बन्द होने का ताल्लुक़ फजर की अजान के साथ बिल्कुल नही है,
यह जो लोग बोलते हैं या सोचते हैं कि जब तक आजान नही होती जब तक सहरी का टाईम है तो ओर खा या पी लेते हैं तो यह गलत है
क्यूंकि दोस्तो जब फजर का वक्त षुरू होता है तो सहर का वक्त खत्म होता है यानी सहरी के वक्त के बाद ही फजर की आजान होती है
तो दोस्तो जो लोग आजान पर खा पी रहा है यह सोचकर की अभी दो मिनट खा लेता हुं अभी कुछ नही होगा तो याद रखें उसका रोजा नही होगा
इसी लिए दोस्तो मालूम हुआ कि जो फजर की आजान दी जा रही है ओर आपकी कानो तक आवाज आ रही है तो वह फजर का वक्त षुरू होने के बाद दी जा रही है
यानी के फजर की अज़ान हो रही हे तो सहरी का वक्त उससे कुछ देर पहले खत्म हो गया
ओर अगर लोग भोले पन से कहें या नादान बन रहै हैं कि हमे तो मालूम ही नही है वह जान लैं कि रोजा नही होगा ओर यह बात अपने जैसे दूसरों को भी बतायें
दोस्तो बहतर तरीका यही है कि जो सहरी का खत्म टाईम हो उस्से 5 मिनट पहले ही खाना पीना छोड कर मिस्वाक वगेरा करके रोजे का इरादा करलें ओर फिर नमाज की तैयारी मै लग जायें
तो दोस्तो मुझे उम्मीद है आप अच्छे से समझ गये होगे तो अब इजाजत अगर मेरा टॉपिक आपको पसन्द आया तो जरूर अपने दोस्तों में शेयर करें
अलाह हाफिज ओर शुक्रिया दोस्तों
Mashallah bahut lajawab wonderful
ReplyDeleteAapki trick se mujhe 25 Diamond mile thank you
ReplyDelete