निदामत के आँसू Nidamat ke Aansu - As Islamic Andaz

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Thursday, May 21, 2020

निदामत के आँसू Nidamat ke Aansu

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( निदामत के आँसू )

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एक खुशुलहान आदमी सारंगी बजाया करता था उसकी आवाज़ पर मर्दो औरत बच्चे सभी क़ुर्बान थे कभी मस्त होकर गाता हुआ जंगल से गुज़रता तो चरिन्द परिन्द उसकी आवाज़ सुनने के लिए जमा हो जाते  

इन भूल भुलइयों में जब यह उम्र गुज़ार बैठा और बुढ़ापे के आसार नमूदार हो गए तो बुढ़ापे की वजह से आवाज़ भद्दी हो गयी और न ही उसकी सारंगी में वह सोज़ रहा 

अब वह जिधर से गुज़रता कोई पूछने वाला न था 

नामो शोहरत सुर सब रुख़्सत हो गए वीरानी की वजह से फ़ाक़े पर  फ़ाक़े गुजरने लगे उस पर बेकसी का आलम था दुनियाँ की इस ख़ुदग़र्ज़ी को देखकर एक दिन बड़ा मायूस हुआ और दिल में कहने लगा "या अल्लाह जब में ख़ुश आवाज़ था तो दुनिया मुझपर परवाना वार गिरती थी और हर तरफ मेरी इज़्ज़त होती थी अब बुढ़ापे की वजह से आवाज़ ख़राब हो गयी हे तो यह ख़ुदग़र्ज़ लोग मेरे साए से भी बचने लगे हैं हाय ऐसी बेवफ़ा दुनियाँ से मैंने दिल लगाया 
काश मैं तेरी तरफ़ माइल रहता तेरी तरफ़ दिल लगाया होता अपने शबो रोज़ तेरी याद में गुज़ारता और तुझी से ही उम्मीदें लगाता 
तो आज यह दिन न देखता 

सारंगी बजाने वाला दिल ही दिल में पछता रहा था पशेमान हो रहा था और आँखों से आँसूं जारी थे उसने एक आह भरी और दुनियाँ दारी से मुँह मोड़ कर दीवाना वार मदीना मुनव्वरा के क़ब्रस्तान की तरफ रवाना हो गया 

और एक पुराने ग़ार नुमां गढ़े में जा बैठा रोते हुए उसने अर्ज़ की ए खुदा
आज मैं तेरा मेहमान हूं सारी दुनिया ने मुझे छोड़ दिया हैअब तेरी पनाह के सिवा मेरे पास कोई पनाह नहीं ए अल्लाह आशना बेगाने हो चुके, अपने पराए हो गए,   अब तेरे सिवा मेरा कोई आसरा नहीं 
सारंगी बजाने वाला इस तरह आहो ज़ारी में  मशग़ूल था और उसका दिल खून के आंसू रो रहा था बारगाहे इलाही में उसके यह निदामत के आंसू क़ुबूल  हो गए 


हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अन्हा को इल्हाम हुआ कि मेरा फला बंदा जो अपनी खुश आवाज़ी  के सबब जिंदगी भर दुनिया में मशहूर ओ मकबूल रहा महबूब रहा और अब बुढ़ापे में आवाज खराब हो जाने की वजह से दुनिया ने उसे छोड़ दिया है जिंदगी भर वह मुझसे  ग़ाफ़िल रहा
 उसके पास जाकर उसकी जरूरत को पूरा कर हमने अपने फ़ज़ल को उसके लिए खास कर दिया है अब उसे मखलूक के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं 

हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अन्हा उठे  और जरूरत का सामान लेकर क़ब्रस्तान के नजदीक एक गढ़े में उन्हें एक सोए हुए बुजुर्ग नजर आए 
जिनका चेहरा और दाढ़ी आंसुओं से तर था इन्ही निदामत के आंसुओं  की वजह से अल्लाह ने उन्हें यह मक़ाम  दिया था

हज़रत उमर रज़ि० उस ग़ार के सामने खड़े हो गए ताकि बुज़ुर्ग बेदार हों तो उनसे मुलाक़ात करूँ इतने में हज़रत उमर को छींक आ गयीजिससे उनकी आँख खुल गयी ख़लीफ़ए मुस्लिमीन को देखकर उनके ऊपर हेबत तारी हो गयी वह कांपने लगे

 हज़रत उमर ने जब देखा के बुज़ुर्ग लर्ज़ा बरा निदामत हैं तो फ़रमाया खौफ मत करो मैं तुम्हारे रब की तरफ से तुम्हारे लिए खुशखबरी लाया हूँ 

सारंगी वाले को जब उमर की ज़बाने मुबारक से हक़ ताला की इनायत का इल्म हुआ तो इस मुशाहिदे रहमते इलाही से उस पर शुक्रो निदामत का हाल तारी हो गया अपने हाथों को निदामत से  चबाने लगा और अपने ऊपर ग़ुस्सा करने लगा 

अपनी ग़फ़लत और हक़ ताला की इनायतो रहमत का ख़्याल करके एक चींख मारी और कहा मेरे आक़ा ए करीम में मैं अपनी नालायक़ी और ग़फ़लत के बावुजूद तेरी रहमत देखकर पानी पानी   हो रहा हूँ

जब सारंगी वाला बुज़ुर्ग खूब रो चुका तो अपनी सारंगी को ग़ुस्से के मारे ज़मीन पर पटख दिया और रेज़ा रेज़ा कर दिया और उसको मुखातिब करके कहा 
तूने ही हक़ ताला की मोहब्बतों रहमत से महरूम रखा तूने ही सत्तर साल तक मेरा खूने जिगर पिया यानी तेरी ही वजह से नाफरमानी करते करते बूढ़ा हो गया इस मर्द की गिरया औज़ारी देखकर हज़रत उमर की आँखों में भी आंसूं आ गए 

आपने फ़रमाया ए शख़्स तेरी यह गिरया औज़ारी तेरे कलबो बातिन की सफाई की दलील हे तेरी जान अब हक़ ताला के क़ुर्ब से ज़िंदा और रोशन हो गयी है 

अल्लाह ताला के नज़दीक गुनाहगार के आंसुओं की बड़ी क़द्रो क़ीमत हे 
हक़ ताला गुनाहगार के निदामत से निकलने वाले एक आंसूं को शहीद के क़तरा ए खून के हम वज़न रखता है 

हज़रत उमर रज़ि o की सोहबत मुबारका के फैज़ से उस शख्स को दोबारा ज़िन्दगी मिल गयी और निदामत के आँसुंओं के सबब अल्लाह ताला ने उस पर अपना करम फरमा दिया 


Note:-

रब ताला के यहाँ गुनाहगार के आंसुओं की बड़ी क़द्रो क़ीमत हे इस लिए हमको भी सच्चे दिल से तोबा कर लेनी चाहिए शायद खुदा हम गुनाहगारों को भी माफ़ करदे 



Islamic Message Story

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