Al-Aqsa Mosque
* हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने फ़िज़ीन की तरफ़ गिरज़त फ़रमाई।
* अल्लाह ने हज़रत लूत अलैहिस्सलाम को उस अज़ाब से करार दिया जो उनके क़ौम पर इस जगह नाज़िल हुआ था।
* हज़रत सुलेमान (अलै0हिस0) इस मुल्क में बैठ कर पूरी दुनिया पर हूकूमत करते थे।
कुरआन में चींटी का वह मशहूर किस्सा जिसमें एक चींटी ने बाकी साथियों से कहा था "ऐ चींटियों! अपने बिलों में घुस जाओ" ये किस्सा यह फलस्तीन के "असकलां" शहर की वादी में पेश आया था।
* हज़रत ज़करिया अलै0हिस0 का तट भी इसी शहर में है।
* हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने इस मुल्क के बारे में अपने साथियों से कहा था, इस मुक़द्दस शहर में पैर हो जाओ!
इस शहर में काई मोअज़्ज़े हुए हैं जिनमें एक कुंवारी इब्न हज़रत मरियम के बुतन से ईसाइयों अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई।
* हज़रत ईसाइयों अलैहिस्सलाम को जब उनकी क़ौम ने क़त्ल करना चाहा तो अल्लाह ने उन्हें इसी शहर से आसमां पर उठाया था।
* क़यामत की अलामत में से एक हज़रत ईसाइयों की वापसी इस शहर के मुकाम सफेद मीनार के पास होगी।
* इस शहर के मुकाम "बाब ए लुद" पर ईसा मसीह अलैहिस्सलाम दज्जाल को क़त्ल करेंगे।
* फलस्तीन ही अरज़े महशर है।
* इसी शहर से ही याजूज माजूज का किताल और फसाद शुरू होगा।
* फलस्तीन को नमाज़ के फ़र्ज़ होने के बाद "क़िबला ए अव्वल" होने का एज़ाज़ भी हासिल होता है। हिजरत के बाद जिबरील अलैहि0 अल्लाह के हुक्म से नमाज के दौरान ही मुहम्मद स0अ0 को मस्जिद ए अक्स से बतुल्लाह (काबा) की तरफ रुख कर गए थे, जिस मस्जिद में ये वाकिया पेश आया था वह मस्जिद आज भी मस्जिद ए क़िबलातैन कहलाती है।
* हुजूर अकरम (स0अ0) मे'अराज की रात आकाश पर ले जाने से पहले मक्का मुकर्रमा से बतुल मुक्द्दस (फलस्तीन) अन्य गए।
* अल्लाह के रसूल स0अ0 की इक्तेदा में सारे नबियों ने यहां नमाज अदा फरमाई।
* इस्लाम का सुनहरी दौर फारूकी में दुनिया भर के फतह को छोड़ कर महज़ फ़लस्तीन की फ़तह के लिए खूद उमर (रजि0अ0) जाना और यहां पर नमाज़ अदा करना, इस शहर की अज़मत को आता है।
* दूसरी बार यानी 27 रजब 583 हिजरी जुमा के दिन को सल्उद्दीन अय्युबी के हाथों इस शहर का फिर से फतह होना।
* बैतूल मुक्द्दस का नाम "कुदुस" कुरान से पहले हुआ था, कुरान नाजिल हुआ तो इसका नाम "माजिद एक अक्सा" रखा गया, इस शहर के हुसूल और रूमियो के जबर वह सितम से बचाने के लिए 5000 से ज्यादा सहाबा किराम रजि0अ0 ने जामे शहादत नोश किया, और शहादत का बाब आज तक बंद नहीं हुआ, शिशिल अभी तक चल रहा है, ये शहर इस तरह शहीदों का शहर है।
* मस्जिद एक अक्सा और शाम की अहमियत हर आदमी की तरह है, जब कुरान पाक की ये आयत
* उदमत ए मोहम्मदी सदस्यता में इस मुक्द्दस सरजमीं की वारिस है।
* फलस्तीन की अस्मत का अंदाज इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां पढ़ने वाली हर नमाज का अज्र 500 गुना बढ़ा दिया जाता है।
"क्लोजें मुन्तज़िर है बैतूल मुद्दस की फ़तह के लिए या रब,
फिर किसी सल्उद्दीन अय्युबी को भेज दें"
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