As Islamic Andaz
(क़ज़ाए इलाही )
एक मर्तबा का जिक्र है कि हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम के दरबार में सारे परिंदे हाजिर थे उन परिंदों में से हर एक परिंदा अपना अपना हुनर और कामों के राज एक-एक करके हजरत सुलेमान अलैहिससलाम को बता रहा था हर एक परिंदा अपनी अपनी हुनरमंदी को बयान करते हुए खुशी महसूस कर रहा था
जब हुद हुद की बारी आई और उसकी कारीगरी और हुनरमंदी का बयान हुआ तो हुद हुद ने कहा या बादशाह मैं ज्यादा तारीफ़ नहीं करता और ज्यादा बातें भी नहीं करता मेरे पास एक छोटा सा हुनर है
हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया बताओ कौन सा हुनर है
हुद ने जवाब दिया कि जब मैं आसमानों की बुलंदी में होता हूं तो जमीन की गहराई में पानी को देख लेता हूं कि वह कहां है उसकी गहराई कितनी है उसकी रंगत क्या है किस चीज से उबल रहा है मिट्टी से या पत्थर से
फिर हुद हुद ने कहा कि आप सफर के दौरान मुझे साथ रखा करें चुनांचे हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि तू हमारे सफर का साथी बन जा ताकि तू लश्कर को पानी दरयाफ़्त करें रात दिन हमारे साथ रहना कि लश्कर पानी की तकलीफ ना उठाएं
इसके बाद हुद हुद हर वक्त हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम के साथ रहने लगा
कवें ने जब हुद हुद की इस क़द्र पजीराइ देखी तो हसद की वजह से उसका बुरा हाल हो गया वह हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम के पास आया और कहने लगा हुद हुद का बयान गलत है बादशाह के सामने इस तरह की बात कहना बेअदबी है और फिर झूठी शेख़ी बघारना तो और भी बुरी बात है अगर हुद हुद की नजर इतनी तेज होती तो यह शिकारी के जाल में हरगिज ना फंसता जाल के अंदर जो दाना पड़ा होता है वह दाना तो इसे नजर आ जाता है लेकिन जाल नहीं आता अगर इसकी नजर इतनी ही तेज होती तो इसे दाने के साथ जाल भी नजर आ जाता
हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने कवे की बात सुनकर हुद हुद से फरमाया कि तेरे लिए यह बात मुनासिब नहीं है कि तू मेरे सामने शेखी बघारे और झूठ बोले कौवे के ऐतराज़ का तुम्हारे पास क्या जवाब है
हुद हुद ने जवाब दिया या बादशाह कौवे ने तो यह बात हसद की वजह से की है और हसद। की आग में जलकर मेरे खिलाफ यह बातें कर रहा है अगर मेरा दावा ग़लत हे और मेरा कहना ठीक नहीं हे तो अभी मेरा सर गर्दन से उतारदें
मेरी नजर में तो अल्लाह ताला ने वाकई यह कमाल रखा है क्योंकि यह बात तो दुरुस्त है कि मैं हवा में उड़ता हुआ नीचे जमीन पर दाना और जाल देख लेता हूं लेकिन जब मेरी अक्ल सो जाती है तो मेरी नजर पर कजा का पर्दा पड़ जाता है और मुझे जाल दिखाई नहीं देता इस हासिद कौवे ने मेरी इस ख़ूबी पर तो एतराज़ कर दिया जो अल्लाह तआला की तरफ़ से मुझको अता हुई है मगर इसे तक़दीर और क़ज़ाए इलाही की हकीकत समझ में न आयी
Note:-
इस वाक़्या से यह सबक हासिल होता है कि इंसान चाहे कितना भी अक्लमंद और चालाक हो मगर क़ज़ाए इलाही के सामने उसकी कोई भी तदबीर कारगर साबित नहीं होती जो कुछ इंसान के मुकद्दर में हो वह जरूर होकर रहता है
Islamic Massages story
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